
एलएंडटी प्रमुख एस एन सुब्रह्मण्यन: ‘श्रमिक कल्याण योजनाओं की सुविधा पसंद कर रहे, प्रवास को तैयार नहीं’
एलएंडटी के सीईओ एस एन सुब्रह्मण्यन ने हाल ही में कहा कि कई श्रमिक अब रोजगार के लिए प्रवास करने के बजाय सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर निर्भर रहना पसंद कर रहे हैं। यह रुझान उन उद्योगों के लिए चुनौती बन रहा है जो प्रवासी मजदूरों पर निर्भर हैं, विशेष रूप से निर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में।
मुख्य बातें:
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प्रवासी मजदूरों की संख्या में गिरावट:
पहले जो श्रमिक काम की तलाश में एक राज्य से दूसरे राज्य जाते थे, अब वे सरकार की योजनाओं की वजह से अपने क्षेत्र में ही रुकना पसंद कर रहे हैं। मुफ्त राशन, नकद हस्तांतरण और मनरेगा जैसी योजनाओं ने उनकी आर्थिक स्थिति को सुरक्षित बना दिया है। -
श्रमिक-आधारित उद्योगों पर असर:
निर्माण, रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों को प्रवासी श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ सकता है। इससे परियोजनाओं में देरी, लागत वृद्धि और स्वचालन (ऑटोमेशन) की आवश्यकता बढ़ सकती है। -
बेहतर वेतन और कामकाजी परिस्थितियों की जरूरत:
श्रमिकों की कमी को देखते हुए कंपनियों को उच्च वेतन, बेहतर रहन-सहन की सुविधाएं और अतिरिक्त लाभ देने की आवश्यकता होगी ताकि वे श्रमिकों को आकर्षित कर सकें। -
दीर्घकालिक प्रभाव:
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: कल्याणकारी योजनाएं अगर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को मजबूत करती हैं, तो इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।
- शहरी क्षेत्रों में श्रमिकों की कमी: महानगरों और औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों की अनुपलब्धता से उत्पादकता प्रभावित हो सकती है।
- स्वचालन (Automation) की ओर बढ़ता रुझान: कंपनियां श्रमिकों की कमी को पूरा करने के लिए स्वचालित तकनीकों की ओर बढ़ सकती हैं।
बड़ा सवाल:
क्या कंपनियों को स्वचालन में निवेश करना चाहिए या श्रमिकों के लिए रोजगार को अधिक आकर्षक बनाने पर ध्यान देना चाहिए?