लुफ्थांसा फ्लाइट में बड़ा हादसा टला: को-पायलट को उड़ान के दौरान मिर्गी का दौरा, 10 मिनट तक बिना पायलट के उड़ता रहा विमान

 फ्रैंकफर्ट से सेविल जा रही फ्लाइट को मेड्रिड में किया गया डायवर्ट, यात्रियों की जान बची ऑटोपायलट की बदौलत

हैदराबाद, 18 मई 2025: 17 फरवरी 2024 को जर्मनी की लुफ्थांसा एयरलाइंस की एक फ्लाइट में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब को-पायलट को अचानक मिर्गी का दौरा पड़ गया और वह कॉकपिट में अकेले बेहोश हो गया। इस दौरान विमान करीब 10 मिनट तक बिना किसी सक्रिय पायलट के ऑटोपायलट मोड पर उड़ता रहा

कैसे हुआ हादसा

यह विमान जर्मनी के फ्रैंकफर्ट से स्पेन के सेविल जा रहा था। उड़ान के दौरान कैप्टन थोड़ी देर के लिए वॉशरूम जाने के कारण कॉकपिट से बाहर निकले, और उसी समय कॉकपिट में मौजूद 38 वर्षीय फर्स्ट ऑफिसर (को-पायलट) को अचानक दौरा पड़ा। वह पूरी तरह से बेहोश हो गया और कॉकपिट के अंदर लॉक हो गया।

जब कैप्टन वापस आए, उन्होंने देखा कि कॉकपिट का दरवाज़ा नहीं खुल रहा है। उन्होंने कई बार इमरजेंसी कोड और स्टैंडर्ड एक्सेस कोड का इस्तेमाल किया, लेकिन दरवाजा नहीं खुला। इसके बाद कैबिन क्रू ने भी मदद करने की कोशिश की, लेकिन कड़े सुरक्षा नियमों के चलते कोई भी अंदर नहीं जा सका।

ऑटोपायलट बना जिंदगी का सहारा

इस दौरान विमान ऑटोपायलट मोड पर था, जो कि पहले से सेट रूट और ऊंचाई पर विमान को स्थिर रूप से उड़ाता है। यही ऑटोपायलट सिस्टम उन 10 मिनटों में सभी यात्रियों की जान बचाने वाला सबसे बड़ा कारण बना।

को-पायलट को आई होश, फिर खुला कॉकपिट

करीब 10 मिनट बाद को-पायलट को आंशिक होश आया और वह दरवाज़ा खोलने में कामयाब हुआ। कैप्टन तुरंत अंदर गए और विमान का नियंत्रण अपने हाथ में लिया। इसके बाद उन्होंने बिना समय गंवाए स्पेन के मैड्रिड एयरपोर्ट पर आपात लैंडिंग की।

मेडिकल जांच में निकला न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर

मैड्रिड में लैंडिंग के तुरंत बाद को-पायलट को इमरजेंसी मेडिकल ट्रीटमेंट दिया गया। डॉक्टर्स ने बताया कि उन्हें एक अज्ञात न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जिसकी वजह से मिर्गी जैसा दौरा पड़ा।

नियमों और सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल

इस घटना ने फिर से यह सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या सभी एयरलाइंस में “दो पायलटों की उपस्थिति का नियम” हर समय लागू किया जाता है? कोविड-19 के बाद कई एयरलाइंस ने इस नियम में ढील दी है।

विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि:

  • हर उड़ान के दौरान कम से कम दो प्रशिक्षित कर्मियों का कॉकपिट में रहना अनिवार्य हो।

  • पायलटों की न्यूरोलॉजिकल और मेडिकल जांच समय-समय पर की जाए।

  • कॉकपिट में ऐसी सुरक्षा प्रणाली होनी चाहिए जो इमरजेंसी में दरवाज़ा खोलने की अनुमति दे सके।

By Ruby__