रूस का भारत को Su-57 फाइटर जेट के संयुक्त उत्पादन का प्रस्ताव

रूस ने भारत को Su-57 पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के संयुक्त उत्पादन (Joint Production) का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत, पूरी तरह से निर्मित Su-57E विमान की आपूर्ति और भारत के स्वदेशी फाइटर जेट विकास कार्यक्रम में तकनीकी सहायता देने की पेशकश भी की गई है। यह प्रस्ताव भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग को नई दिशा दे सकता है।

 

रूस के प्रस्ताव की मुख्य बातें

1. संयुक्त उत्पादन और तकनीकी हस्तांतरण (Technology Transfer)

  • रूस की राज्य रक्षा निर्यातक कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट (Rosoboronexport) ने भारत को Su-57E (Su-57 का एक्सपोर्ट वर्जन) के संयुक्त निर्माण का प्रस्ताव दिया है।
  • यह तकनीकी हस्तांतरण (Technology Transfer) को भी शामिल करता है, जिससे भारत अपने स्वदेशी रक्षा उद्योग को मजबूत कर सकता है।
  • यह भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के अनुरूप होगा, जिससे देश में उन्नत रक्षा उपकरणों का निर्माण संभव होगा।

2. पूरी तरह से निर्मित Su-57E विमानों की आपूर्ति

  • रूस ने सीधे Su-57E फाइटर जेट की आपूर्ति करने का भी प्रस्ताव दिया है।
  • इससे भारत को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान की क्षमता जल्द मिल सकती है, जो कि अभी तक केवल अमेरिका और रूस के पास है।
  • Su-57E एक उन्नत स्टेल्थ फाइटर जेट है, जो हवा में वर्चस्व, ज़मीनी हमलों और उच्च स्तर के गुप्त मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है।

3. भारत के स्वदेशी फाइटर जेट प्रोजेक्ट (AMCA) में सहायता

  • रूस ने भारत के स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) प्रोजेक्ट में सहायता की पेशकश की है।
  • इसमें इंजन निर्माण, स्टेल्थ तकनीक, और एवियोनिक्स सिस्टम जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों पर सहयोग शामिल हो सकता है।

Su-57 का Aero India 2025 में प्रदर्शन

  • Su-57E फाइटर जेट पहली बार Aero India 2025 में प्रदर्शित होगा
  • यह भारत के लिए इस विमान की प्रभावशीलता और क्षमताओं को करीब से देखने का अवसर होगा।
  • रूस इस प्रदर्शन के जरिए भारत को Su-57 खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।

भारत और रूस के पुराने रक्षा संबंध व FGFA प्रोजेक्ट

  • भारत और रूस पहले FGFA (Fifth Generation Fighter Aircraft) प्रोजेक्ट में साझेदार थे, जो Su-57 पर आधारित था।
  • लेकिन 2018 में भारत ने इस परियोजना से बाहर होने का निर्णय लिया।
  • भारत के इस फैसले के पीछे ये कारण थे:
    • उच्च लागत और महंगे निवेश।
    • स्टेल्थ और इंजन प्रदर्शन को लेकर चिंता
    • पर्याप्त तकनीकी हस्तांतरण नहीं मिलना
  • रूस का नया प्रस्ताव भारत की पुरानी चिंताओं को दूर कर सकता है।

मुख्य चुनौतियाँ और चर्चा के बिंदु

भारत इस प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार करेगा:

  1. तकनीकी हस्तांतरण की शर्तें – भारत चाहेगा कि उसे सभी महत्वपूर्ण तकनीक तक पहुंच मिले।
  2. लागत और निवेश साझेदारी – भारत के लिए यह समझना जरूरी होगा कि इस प्रोजेक्ट में उसकी आर्थिक भागीदारी कितनी होगी।
  3. भारतीय वायुसेना में एकीकरण – यह देखना होगा कि Su-57 भारत के वर्तमान रक्षा सिस्टम के साथ कितनी अच्छी तरह फिट होगा।
  4. AMCA प्रोजेक्ट पर प्रभाव – भारत अपने स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रम को प्रभावित किए बिना यह सौदा करना चाहेगा।