मणिपुर पर भारतीय सेना का नियंत्रण

मणिपुर में हाल ही में बहुत सारी लड़ाई हो रही है। यह लड़ाई मई 2023 में शुरू हुई थी, जब दो समुदायों, मैतेई और कुकी के बीच झगड़ा हुआ। इस झगड़े में बहुत लोग घायल हुए और कई लोग अपने घरों से भागकर कैंपों में रहने लगे।

इसका हल निकालने के लिए भारतीय सेना को मणिपुर में भेजा गया। अब वहां करीब 10,000 सैनिक हैं जो स्थिति को काबू में करने की कोशिश कर रहे हैं। सेना को यह ताकत दी गई है कि वे वहां “अशांत” इलाकों में कार्रवाई कर सकते हैं।

लड़ाई की वजह से म्यांमार से कुछ उग्रवादी भी मणिपुर में आ गए हैं, जिससे स्थिति और भी मुश्किल हो गई है। लेकिन सेना ने कई बड़े हथियार भी पकड़े हैं ताकि लोग सुरक्षित रह सकें

फरवरी 2025 तक, भारतीय सेना मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए सक्रिय रूप से तैनात है। यह हिंसा मई 2023 में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच भड़की थी, जिसमें अब तक 260 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं।

स्थिति बिगड़ने के बाद, भारत सरकार ने क्षेत्र में अतिरिक्त सैनिकों को भेजा। मई 2023 तक, मणिपुर में लगभग 10,000 सेना, अर्धसैनिक बल और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात किए गए थे, ताकि कानून-व्यवस्था बहाल की जा सके। राज्य में अफस्पा (AFSPA) लागू है, जो सेना को “अशांत क्षेत्रों” में विशेष अधिकार देता है।

हालांकि, स्थिति अब भी नाजुक बनी हुई है। म्यांमार से लौट रहे भारतीय उग्रवादी समूहों ने संघर्ष को और जटिल बना दिया है, जिससे हिंसा और अराजकता बढ़ गई है। दिसंबर 2024 में भारतीय सेना और मणिपुर पुलिस के संयुक्त अभियान में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी बरामदगी हुई, जिससे क्षेत्र की सुरक्षा मजबूत करने की कोशिश की गई।

भारतीय सेना स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। लेकिन मणिपुर में हालात अभी भी तनावपूर्ण हैं और शांति स्थापना के लिए लगातार प्रयास जारी हैं।