कॉमेडी में महिलाओं के लिए कम लिखे जाते हैं मज़बूत किरदार | Yami Gautam

कॉमेडी में महिलाओं के लिए सीमित मौके

यामी गौतम, जो बॉलीवुड में अपनी बहुमुखी भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं, ने हाल ही में कॉमेडी फिल्मों में महिलाओं के लिए सीमित अवसरों पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भले ही फिल्म इंडस्ट्री धीरे-धीरे विकसित हो रही है, लेकिन कॉमेडी के क्षेत्र में अभी भी महिलाओं को मुख्य किरदार देने में काफी कमी है।

 


महिलाओं के लिए कॉमेडी में कम किरदार

यामी ने अपनी करियर यात्रा का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी 2012 की डेब्यू फिल्म “विक्की डोनर” एक रोमांटिक-कॉमेडी थी, लेकिन उसके बाद उन्हें सात साल का इंतजार करना पड़ा, जब 2019 में “बाला” में उन्हें एक प्रमुख कॉमिक भूमिका निभाने का मौका मिला। इस फिल्म में उन्होंने एक छोटे शहर की टिकटॉक स्टार का किरदार निभाया, जो मज़ेदार और अनोखी थी।

उन्होंने बताया कि जहां इमोशनल और ड्रामेटिक फिल्मों में महिलाओं के लिए भूमिकाएं मौजूद हैं, वहीं कॉमेडी में महिलाओं के लिए लिखे गए किरदार या तो बहुत सीमित हैं या फिर मुख्य कहानी में उनकी भूमिका बहुत छोटी होती है।


बेहतर लेखन की ज़रूरत

यामी ने महिलाओं के किरदारों के लिए बेहतर लेखन पर जोर दिया। उनके अनुसार समस्या किरदारों की परिकल्पना में है। उन्होंने कहा:
“यह सब लेखन से शुरू होता है। अगर महिलाओं के किरदारों को गहराई और हास्य के साथ लिखा जाए, तो दर्शक उन्हें उतने ही उत्साह के साथ अपनाएंगे।”

उन्होंने यह भी कहा कि बदलाव में समय लगता है क्योंकि समाज की परंपराएं और कहानी कहने के तरीके भी इस पर असर डालते हैं। हालांकि, वह मानती हैं कि फिल्म इंडस्ट्री धीरे-धीरे सही दिशा में आगे बढ़ रही है।


रुचि और मौलिकता का संतुलन

यामी ने कहा कि फिल्म “बाला” जैसे प्रोजेक्ट्स ने उन्हें अभिनय का हल्का और मज़ेदार पक्ष दिखाने का मौका दिया, साथ ही यह सामाजिक मुद्दों जैसे सुंदरता के मानकों पर भी सवाल उठाता है। लेकिन वह मानती हैं कि अभी बॉलीवुड में महिला-केंद्रित कॉमेडी के लिए बहुत गुंजाइश बाकी है।

उन्होंने कहा:
“कॉमेडी हमेशा से फिल्म इंडस्ट्री का एक मजबूत जॉनर रहा है, लेकिन इसमें महिलाओं को मुख्य हास्य भूमिका निभाने का बहुत कम मौका मिलता है। अधिकतर महिलाओं के किरदार या तो लव इंटरेस्ट होते हैं या कहानी का एक हिस्सा होते हैं, लेकिन वे कभी भी हास्य का मुख्य केंद्र नहीं बन पाते।”


हालिया प्रोजेक्ट्स और बदलाव

अपनी हालिया फिल्म “ओएमजी 2” में यामी ने एक वकील की भूमिका निभाई, जो समझदारी और तर्क के साथ अपने केस को लड़ती हैं। हालांकि यह फिल्म पूरी तरह से कॉमेडी नहीं थी, लेकिन इसने उनके किरदार की गहराई और जटिलता को दर्शाया।

यामी इस बात से खुश हैं कि वह ऐसे समय का हिस्सा हैं जब महिलाएं मजबूत भूमिकाओं में दिखाई जा रही हैं। उन्होंने विद्या बालन, तापसी पन्नू और कंगना रनौत जैसी अभिनेत्रियों की प्रशंसा की, जिन्होंने महिला-केंद्रित फिल्मों के लिए रास्ता बनाया।

उन्होंने कहा:
“मैं खुश हूं कि मैं इस दौर का हिस्सा हूं जब इंडस्ट्री महिलाओं के लिए विविध भूमिकाओं पर विचार कर रही है, लेकिन कॉमेडी अभी भी ऐसा क्षेत्र है जहां बहुत संभावनाएं हैं।”


बॉलीवुड की पुरुष-प्रधान कॉमेडी

बॉलीवुड में परंपरागत रूप से कॉमेडी फिल्मों को पुरुष-केंद्रित रखा गया है। अक्षय कुमार, गोविंदा और सलमान खान जैसे कलाकार इस जॉनर में लंबे समय से सफल रहे हैं। इसके विपरीत, महिलाओं को अक्सर सहायक भूमिकाओं तक सीमित रखा गया है, जो या तो रोमांटिक एंगल का हिस्सा होती हैं या कहानी को आगे बढ़ाने में एक माध्यम।

हालांकि, “क्वीन” (2013) और “तुम्हारी सुलु” (2017) जैसी महिला-केंद्रित फिल्मों ने यह साबित किया है कि दर्शक महिलाओं को हास्य भूमिकाओं में भी स्वीकार कर सकते हैं।


यामी का विज़न और अपील

यामी मानती हैं कि इस समस्या का समाधान जोखिम उठाने और नई कहानियों को गढ़ने में है। उन्होंने लेखकों और फिल्म निर्माताओं से महिला-केंद्रित कॉमेडी बनाने का आग्रह किया, जो आधुनिक समाज को प्रतिबिंबित करे और महिलाओं को हास्य की दुनिया में भी अग्रणी भूमिका निभाने का मौका दे।

उन्होंने कहा:
“कॉमेडी एक ऐसा जॉनर है जो बेहद दिलचस्प और सार्वभौमिक है—अब समय आ गया है कि महिलाएं इसे पूरी तरह से अपनाएं, जैसे उन्होंने अन्य जॉनर में किया है। दर्शक तैयार हैं, हमें बस अपने लेखन और निर्देशन में साहस दिखाने की ज़रूरत है।”